विधायक बालमुकुंद का असर अब युवाओं में भी दिखाई देने लगा है

– अंशुल दाधीच नामक युवक ने समुदाय पूछकर सब्जी ठेले वाले को पीटा

-हवा महल विधायक बाबा बालमुकुंद का कार्यकर्ता बताया जा रहा है अंशुल दाधीच

-शिक्षा, रोजगार एवं विकास जैसे कार्य करवाने के लिए चुना जाता है विधायक । लेकिन हवा महल विधायक बाबा बालमुकुंद के कारण जयपुर की चारदीवारी क्षेत्र में तनाव दिखाई दे रहा है

– पुलिस एवं दूसरे विभागों के कार्यों में दखल दे रहे विधायक

जयपुर (रॉयल पत्रिका)। जयपुर शहर व्यापारियों का शहर है यहां सभी लोग शांति एवं सौहाद्र से रहना चाहते हैं। लेकिन ऐसा लगने लगा है कि इस शहर को किसी की नजर लग चुकी है। कभी नवनिर्मित मकान के टैंक में मृत गाय को लेकर, कभी दो समुदायों के युवाओं में झगड़े को लेकर तो कभी धार्मिक जुलूस को लेकर तनाव पैदा होता दिखाई दिया । ऐसा ही एक मामला 28 सितंबर, 2024 को अंशुल दाधीच नामक युवक ने एक सब्जी ठेले वाले को केवल इसलिए पीटा कि वह दूसरे समुदाय से आता है। अंशुल दाधीच विधायक बाबा बालमुकुंदाचार्य का कार्यकर्ता बताया जा रहा है। विधायक के साथ अंशुल की काफी फोटो वायरल हो रही है। इससे कुछ दिन पहले विधायक बालमुकुंद ने एक विशेष समुदाय के ई-मित्र संचालकों की दुकानों की तलाशी ली और बांग्लादेशी और रोहिंग्या लोगों के आधार कार्ड बनाने का आरोप लगाया था। जबकि दुकानों और ई-मित्रों की जांच का अधिकार संबंधित विभाग और पुलिस को होता है। विधायक की नजर में पुलिस और सभी सरकारी विभाग नाकाम और असफल हैं । जबकि होना यह चाहिए कि उनको पुलिस को सूचना देनी चाहिए थी कि फलां ई-मित्र पर गड़बड़ी हो रही है। इसी तरह मीट एवं ढाबों की जाकर बंद करवाना आदि कार्य शामिल हैं।

बार-बार एक समुदाय को लक्ष्य बनाकर काम करना शहर के दूसरे वर्गों एवं समुदाय को उकसाने का काम है। आचार्य ने विधानसभा में संविधान की शपथ ली है और उसके दायरे में काम करने की भी शपथ ती है। विधायक को सोचना चाहिए कि कानून सभी के लिए है। यदि कानून का ज्यादा उल्लंघन किया गया ती स्वयं के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है। क्षेत्र के विधायक की जिम्मेदारी अच्छी शिक्षा, रोजगार एवं अच्छा व्यापार और आपत्नी शांति सौहाद्र बनाए रखने की होनी चाहिए। लेकिन विधायक जी शिक्षा, रोजगार एवं व्यापार पर तो बात ही नहीं करना चाहते हैं। इतिहास गवाह है कि जयपुर शहर में कई बार कर्फ्यू लगाया गया, धारा 144 लगाई गई। ऐसे अवसरों पर गरीब मजदूरों को कई कई दिनों तक भूखा सोना पड़ा, व्यापारियों को लाखों का घाटा व्यापार में हुआ। यहां दोनों समुदाय के लोग मिलजुल कर रहना चाहते हैं । लेकिन वर्तमान में जो माहौल बना दिया गया है, वह तनावपूर्ण है। हालांकि दोनों समुदाय के बुद्धिजीवी समाजसेवी एवं व्यापारी शहर के माहौल को शांत करने में लगे हुए हैं। जयपुर पुलिस का शानदार काम है। शांति बिगाड़ने के आरोपियों पर तुरंत कार्रवाई कर रही है। जयपुर के सभी समुदाय के लोगों को चाहिए कि वह अपने-अपने समुदाय के जज्बाती युवाओं को उग्र होने से रोकें, कानून के दायरे में काम करें, कोई ऐसी सूचना मिले तो पुलिस को दें क्योंकि कोई भी अप्रिय घटना होने पर थड़ी वाले, ठेले वाले, रिक्शा वाले, दहाड़ी मजदूरों को बड़ा नुकसान होता है। धार्मिक लोग भी जयपुर को शांत बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। शहर की जनता को भावनाओं में नहीं आकर अच्छी शिक्षा, रोजगार, व्यापार के लिए शांत माहौल की अपने विधायकों से मांग करनी चाहिए और बताना चाहिए कि आगामी चुनाव में आपको और पार्टी को वोटों की जरूरत पड़ेगी।

 

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